ये दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जानेवाली और सबसे ज़्यादा चर्चित ऑटोमेटिक राइफ़ल है जिसे मिखाइल क्लाशनिकोव ने बनाया था। 94 साल क...
ये दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जानेवाली और सबसे ज़्यादा चर्चित ऑटोमेटिक राइफ़ल है जिसे मिखाइल क्लाशनिकोव ने बनाया था। 94 साल की उम्र में मिखाइल क्लाशनिकोव एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद दम तोड़ दिया। वो अपने आख़िरी दिनों में अपने उसी यूराल पर्वत के इज़ेवेस्क शहर में रहे जहां उन्होंने एके-47 का अविष्कार किया था और जहां आज भी इस राइफ़ल का निर्माण होता है।
27 साल की उम्र में मिखाइल ने इस घातक हथियार का अविष्कार किया था और नाम दिया आवटोमैट क्लाशनिकोव-46, इसमें आवटोमैट का मतलब ऑटोमैटिक है और 46 साल है। लेकिन इसको पूरी तरह से बनाकर 1947 में क्लाशनिकोव ने रूसी सेना को सौंपा जिसे नाम दिया गया आवटोमैट क्लाशनिकोव-47 यानी एके-47 और तब आज तक ये हथियार दुनिया की हर सेना के पास तक पहुंचा। ये दुनिया का सबसे पसंदीदा राइफ़ल माना जाता है जिसकी तादाद दुनिया में 10 करोड़ के करीब है और ये दूसरी बंदूकों के मुक़ाबले बेहद साधारण और देखरेख में आसान है।
क्लाशनिकोव ने इस हथियार को काफी कम पैसे में बनाया था। शायद इसीलिए उन्हें इससे कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ और इस पर वो कहते थे कि अगर मैंने इसकी जगह घास काटनेवाली मशीन बनाई होती तो मेरे पास ज़्यादा पैसे होते। वैसे 90 साल की उम्र में तब के रूसी राष्ट्रपति देमेत्री मेदेवदेव ने क्लाशनिकोव को रूस के सबसे बड़े नागरिक सम्मान द हीरो ऑफ़ रशिया गोल्ड मेडल से सम्मानित किया था और उन्हें कहा था कि उन्होंने एक ऐसे राष्ट्रीय ब्रांड का निर्माण किया जिस पर रूसी गौरवान्वित महसूस करता है।
क्लाशनिकोव को हमेशा अफ़सोस रहा कि जिस राइफ़ल को उन्होंने अपने देश की अस्मिता बचाने के लिए बनाया वो अपने निर्माण को एक-दो साल के बाद से ही आतंकियों और गैंगस्टरों के पास पहुंचती चली गई। उन्हें अफ़सोस रहा कि उन्होंने ऐसा अविष्कार किया जिसने सबसे ज़्यादा ख़ून बहाया।