Lucknow:Due to the huge pits and waterlogging on the road that has been broken for years,the villagers have become difficult to get out of their house
लखनऊ/ब्यूरो रिपोर्ट खबर जोन: सालों से टूटी पड़ी सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढ़े और जलभराव होने से ग्रामीणों का घरों से निकलना दूभर हो गया है, मामला लखनऊ के बक्शी का तालाब के रामपुर बेहड़ा गांव का हैं जहां पर कई सालों से सड़क खुदी पड़ी है और कोई निर्माण कार्य नहीं कराया गया है। सीवर निर्माण के दौरान सड़क की खुदाई की गई थी पर उसके बाद बनवाई नहीं गई, जिसके चलते ग्रामीणों को घरों से निकलने में काफी परेशानी होती है। वहीं सीवर का पानी भी सड़क पर ही आ जाता है जिसके चलते गहरा गड्ढ़ा हो गया है। गांव के दुर्गेश वर्मा ने बताया कि प्रधान से कई बार कहने के बाद भी सड़क नहीं बनी है, एक बार गड्ढे में बच्ची गिर गई थी, बड़ी मुश्किल से उसकी जान बचाई गई। पूरा पंचवर्षीय हो गया है पर प्रधान राम प्रताप का सोमवार नहीं आया।
गांव के ही सुरेश ने बताया कि सड़क का हाल बहुत बुरा है। जितने भी शौचालयों का निर्माण हुआ है अधिकतर जर्जर अवस्था में हैं या फिर ध्वस्त हो गए हैं, प्रधान पर घटिया निर्माण कार्य करवाने का आरोप लगाया है। सुरेश ने यह भी बताया कि जब से निर्माण हुआ है छत चूती है।
ग्रामीण बलवीर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, सड़कें टूटी पड़ी हैं, साल भीतर ही शौचालय जर्जर हो गए हैं। बलवीर का प्रधान पर आरोप है कि जितने शौचालय बने हैं उन्होंने बनवाए किसी को पैसा नहीं दिया गया, 12 हजार शौचालय के लिए आते हैं पर 3000 और 6000 रुपए में निर्माण कराया गया है। मानक के अनुरूप निर्माण नहीं होने से शौचालय जर्जर और ध्वस्त हो गए।
जब प्रधान राम प्रताप का पक्ष जानने के लिए उनके घर का रुख किया तो पता चला कि वो किसी काम से बाहर गए थे तो उनके भतीजे आकाश राजपूत ने उनका पक्ष रखते हुए बताया कि सड़क पर मिट्टी डलवाई थी, सरकार से कोई पैसा नहीं आया है जिसके चलते सड़क निर्माण नहीं हो पाया है, उन्होंने बताया कि पता चला है कि 10-15 दिन में काम चालू हो जाएगा। शौचालयों की दुर्दशा पर जब हमने पूछा तो आकाश ने कहा कि 12 हजार में कहीं शौचालय बनता है।
गौरतलब है कि रामपुर बेहड़ा गांव के ग्रामीण परेशान हैं, सालों से एक अदद सड़क नहीं बनने से उनका जीवन दुश्वार है। शौचालयों की स्थिति खुद बयां हो रही है। वहीं प्रधान के भतीजे ने अपना पक्ष रखा पर कहीं न कहीं सरकार की पोल भी खोल दी कि सरकार के दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।