10 priorities of Narendra Modi as PM
नई दिल्ली। आज नरेंद्र मोदी शपथ ले कर देश के 15वें प्रधानमंत्री बन गए हैं और मंगलवार सुबह 8 बजे से अपना कार्यभार संभालने वाले हैं। मोदी के सामने काम की एक लंबी फेहरिस्त है। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें पूरा करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। क्यूंकि अगले कुछ दिनों में होने वाले कुछ प्रदेशों के चुनाव में इनकी इसी कार्यकुशलता का परिणाम आएगा। अब आइए, जानते हैं ऐसे कौन से 10 कार्य हैं जिसे पूरा करना नरेन्द्र मोदी की पहली प्राथमिकता में होगी...
महंगाई पर नियंत्रण
गौरतलब है कि पिछली यूपीए सरकार के शासन काल में मंहगाई चरम पर चली गयी थी और जनता इससे त्रस्त हो चुकी था। इसलिए मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण करने की होगी। अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के साथ ही लोगों को महंगाई से निजात दिलाने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे। माना जा रहा है कि इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है और अगले तीन महीने में इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा। सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने पर होगा। इसके साथ ही सब्सिडी को कम कर राजकोषीय घाटा कम करने का भी दबाव होगा।
आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा
सरकार का आतंकवाद और नक्सली समस्याओं से निपटने पर खासा जोर रहेगा। इसके साथ ही सैन्य आधुनिकीकरण और नक्सल प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की भी चिंता सरकार को करनी होगी। खुफिया तंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ सेना को आधुनिक साजो-समान मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता रहेगी।
भ्रष्टाचार पर अंकुश
पिछली सरकार में भ्रष्टाचार के कई मामलों के उजागर होने और अन्ना आंदोलन के कारण लोगों में भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता बढ़ी है। ऊपर से लेकर निचले स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करने के उपाय पर सरकार का विशेष ध्यान होगा। लोकपाल के गठन और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए कई उपाय किए जाने की संभावना है।
रोजगार सृजन
भाजपा ने चुनाव में जोर-शोर से बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था और युवाओं ने भी इसी मुद्दे पर बढ़ चढ़ कर
चुनाव में नरेन्द्र मोदी का साथ दिया। इसलिए मोदी को को इस वर्ग का भी ख़ास ध्यान रखना पड़ेगा। दरअसल यूपीए सरकार के 10 वर्षो के कार्यकाल में साढे पांच करोड़ रोजगार सृजित हुए, वहीं एनडीए के छह वर्षो के शासन में छह करोड़ लोगों को रोजगार मिला। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार का ढांचागत विकास, विदेशी पूंजी निवेश और औद्योगिकीकरण पर विशेष जोर होगा।
चुनाव में नरेन्द्र मोदी का साथ दिया। इसलिए मोदी को को इस वर्ग का भी ख़ास ध्यान रखना पड़ेगा। दरअसल यूपीए सरकार के 10 वर्षो के कार्यकाल में साढे पांच करोड़ रोजगार सृजित हुए, वहीं एनडीए के छह वर्षो के शासन में छह करोड़ लोगों को रोजगार मिला। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार का ढांचागत विकास, विदेशी पूंजी निवेश और औद्योगिकीकरण पर विशेष जोर होगा।
महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण
दिल्ली में निर्भया कांड के बाद देश भर में महिला सुरक्षा को लेकर नयी बहस छिड़ गई थी। इस मुद्दे को भाजपा ने चुनाव में जोर-शोर से उठाया था। अब इस वायदे को नई सरकार के पूरा करने का वक्त है। इसलिए महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए नए नीति निर्धारण की आवश्यकता पड़ेगी, वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विषय पर बेहद संजीदा नजर आते हैं।
किसानों की माली हालत में सुधार के उपाय
देशभर के किसानों में निराशा का माहौल और उनकी बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाना होगा। इसके लिए किसानों को फसलों की अच्छी कीमत, फसलों की बीमा और कृषि का वैज्ञानिकीकरण पर जोर दिए जाने की संभावना है। जैसा कि वो अपने चुनावी भाषणों में कहते आये हैं।
स्वास्थ सुविधाओं पर जोर
वाजपेयी सरकार की तरह इस सरकार का स्वास्थ सुविधाओं पर विशेष जोर होगा। घोषणापत्र के मुताबिक एम्स जैसे अस्पताल हर राज्य की राजधानी में खोलना एक बड़ा कदम हो सकता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर तरीके से लागू करना भी काफी अहम होगा।
रेलवे आधुनिकीकरण
देश की बड़ी आबादी परिवहन के लिए रेल पर आश्रित है। रेल की सुरक्षित यात्रा और सुविधाओं को बेहतर करना सरकार की प्राथमिकता होगी। रेलवे नेटवर्क का विस्तार करते हुए पूरे देश को इससे जोड़ना भी अहम होगा। इसके साथ ही विभाग की सेहत में सुधार के उपाय भी करने होंगे।
देश की बड़ी आबादी परिवहन के लिए रेल पर आश्रित है। रेल की सुरक्षित यात्रा और सुविधाओं को बेहतर करना सरकार की प्राथमिकता होगी। रेलवे नेटवर्क का विस्तार करते हुए पूरे देश को इससे जोड़ना भी अहम होगा। इसके साथ ही विभाग की सेहत में सुधार के उपाय भी करने होंगे।
पड़ोसी देशों से संबंधों में सुधार
पिछली सरकार की विदेश नीति को लेकर काफी ढुलमुल रवैया रहा था। नई सरकार को चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ सभी पड़ोसी मुल्कों से बेहतर संबंध बनाने के उपाय करने होंगे। चीन से सीमा विवाद और पाकिस्तान से कश्मीर में शांति, द्विपक्षीय व्यापार की साथ-साथ और भी मुद्दों को सुलझाना अहम होगा।
पिछली सरकार की विदेश नीति को लेकर काफी ढुलमुल रवैया रहा था। नई सरकार को चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ सभी पड़ोसी मुल्कों से बेहतर संबंध बनाने के उपाय करने होंगे। चीन से सीमा विवाद और पाकिस्तान से कश्मीर में शांति, द्विपक्षीय व्यापार की साथ-साथ और भी मुद्दों को सुलझाना अहम होगा।
ऊर्जा की समस्या का निराकरण
देश में ऊर्जा की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। सस्ती बिजली के साथ-साथ सभी तक इसे पहुंचना सरकार की प्राथमिकता होगी। इसके लिए परमाणु बिजली घरों के निर्माण में तेजी के साथ-साथ अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देना भी सरकार के लिए अहम काम होगा।
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