will congress is going to be washed out in 2014 election
- सर्वे में कांग्रेस को 2014 में केवल 70-75 लोकसभा सीट
- हिंदी भाषी प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार संकट में
- राहुल गांधी के पीएम पद की उम्मीदवारी पर भी आशंका
- कांग्रेस शासित प्रदेशों में भी नुकसान की आशंका
नयी दिल्ली। अभी बीते दिनों कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा के मद्देनज़र एक आतंरिक सर्वे करवाया था, जिसने इनके नेताओं की नींद उड़ा दी है। दरअसल सर्वे आया है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ में पार्टी की हालत और ज्यादा खराब होने वाली है। पार्टी ने सर्वे ऐसे समय कराया, जब राहुल गांधी को प्रधानमन्त्री उम्मीदवार बनाने की बात चल रही है। लेकिन सर्वे के रिजल्ट ने अब कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बनाया जाए या नहीं? अब देखना दिलचस्प ये होगा कि हार का पता पहले ही चल जाने के बाद पीएम प्रत्याशी के रूप में पार्टी किसे "बलि का बकरा" बनाती है?
खबर ज़ोन की सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के आतंरिक सर्वे के मुताविक पार्टी को इसबार 70 से 75 सीटें ही मिल रही है। जबकि पिछली बार इन्हे 206 सीटें मिली थी। सर्वे के रिज़ल्ट ने पार्टी के भीतर राहुल गांधी को लेकर चिंता बढ़ा दी है। सर्वे में कांग्रेस को सबसे अधिक नुकसान हिंदी भाषी राज्यों में हो रहा है। कांग्रेस शासित उत्तराखंड, हरियाणा, आंध्रप्रदेश और हिमाचल में भी पार्टी को भारी नुकसान होने वाला है। उत्तरप्रदेश में पार्टी पिछला प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पा रही है और बिहार में भी सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तरह हालात रहने वाले हैं।
एकतरफ महिला कांग्रेस देश मे अभियान चला कर 17 जनवरी के AI CC बैठक में राहुल गांधी को पीएम प्रत्याशी बनाने का दबाव डाल रही है। वहीं दूसरी तरफ सर्वे रिज़ल्ट से कांग्रेस में ज़बर्दस्त कोहराम मचा हुआ है। सभी नेता दबी जुबान से स्वीकारने लगे हैं कि हालत चिंताजनक हैं, इसलिए राहुल को आगे कर चुनाव लड़ना सही फैसला होगा क्या? भ्रष्टाचार-महंगाई को लेकर और क्या कड़े कदम उठाएं जाएं जिससे जनता का दिल जीता जाए। दुविधा में फसी कांग्रेस राहुल गांधी के बारे में भी कोई फैसला नहीं ले पा रही है। क्यूंकि अगर चुनाव परिणाम सर्वे के मुताविक आ गया तो राहुल के सिर पर सारी बात आयेगी। कांग्रेस को अभी तक सिर्फ नरेंद्र मोदी से चुनौती मिल ही रही थी। लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने परेशानी और ज्यादा बढ़ा दी है।