जिस पार्टी में पिछले 4 दिनों में 12 लाख लोग जुड़ जाते हैं, जिन्हे लोकसभा चुनावों के पहले का हर सर्वे, सबसे लोकप्रिय पार्टी के तौर पर द...
जिस पार्टी में पिछले 4 दिनों में 12 लाख लोग जुड़ जाते हैं, जिन्हे लोकसभा चुनावों के पहले का हर सर्वे, सबसे लोकप्रिय पार्टी के तौर पर दर्ज करता है, उस पार्टी की छवि एक विवाद से एकदम बदली हुई नज़र आने लगी है। और इन सब के बीच जिस तरह से अरविंद केजरीवाल का बयान आया है वो बेहद विवादित हो जाता है।
23 दिसंबर 2013 को जब आम आदमी पार्टी अपनी कैबिनेट की तस्वीर बना रही थी, तो ख़बरें आईं कि पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिन्नी कैबिनेट में शामिल न किये जाने की वजह से नाराज़ हो गये हैं, उस रात बिन्नी को केजरीवाल के घर से नाराज़ होकर जाते भी देखा, बिन्नी ने तब ये भी कहा था कि दूसरे दिन वो कुछ खुलासे करेंगे। लेकिन रात तक मामले को सही कर लिया गया। कुमार विश्वास और संजय सिंह वसुंधरा एंक्लेव में बिन्नी के घर पहुंचे, खीर खाई और बाहर आये तो मीडिया को झूठा करार देते हुए कह दिया कि कुछ नहीं हुआ है बिन्नी नाराज़ नहीं हैं।
दूसरे दिन यानी 24 दिसंबर को जब अरविंद केजरीवाल से सवाल किया गया कि बिन्नी को कैसे मनाया? तो अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "शाम को बिन्नी मेरे पास आये थे, तो मेरे साथ जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि मुझे कोई पद नहीं चाहिए, मैं तो यहां मिशन के लिए आया हूं।"
अब जब बिन्नी ने फिर बग़ावत की है और वो आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी मुद्दों से भटक गई है, उसकी कथनी और करनी में अंतर है, तो अरविंद केजरीवाल पहले तो कुछ भी बोलने से मना करते हैं लेकिन जब जवाब देते हैं तो अपनी ही पुरानी बात को काट जाते हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "पहले वो मंत्री पद के लिए आए थे मेरे पास, हमने मना कर दिया। उसके बाद वो बोले कि मैं लोकसभा का चुनाव लड़ूंगा। मेरे घर पर आये वो लोकसभा का टिकट मांगने के लिए, तो पार्टी ने अब निर्णय लिया है कि जो भी विधायक हैं, उनको सांसद के लिए टिकट नहीं देंगे।"
20 दिन में अरविंद केजरीवाल ने दो तरह की बातें कहीं। पहले उन्होंने कहा कि बिन्नी ने उनसे कहा कि उन्हें कोई पद नहीं चाहिए, अब केजरीवाल कह रहे हैं कि वो मंत्री पद मांगने के लिए मेरे पास आये थे। तो अरविंद केजरीवाल या तो तब झूठ बोल रहे थे या अब झूठ बोल रहे हैं।
सवाल यही है कि जिस देश में लोग व्यक्ति को देखकर, व्यक्ति की छवि को देखकर, व्यक्ति की विचारधारा को देखकर अपने राजनीतिक निर्णय को तय करते हैं उस देश के साथ क्या अरविंद केजरीवाल ने धोखा नहीं किया?
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