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वैसे बैंकर्स के अनुसार रिजर्व बैंक ने एक जुलाई के बाद 10 से ज्यादा 500 और 1000 रुपये के नोट बदलने पर पहचान पत्र और निवास स्थान प्रमाण पत्र देने की शर्त लगाई है। यह उन ग्राहकों पर लागू होगी जिनका एक्सचेंज करने वाले बैंक में खाता नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि रिजर्व बैंक को अंदेशा है कि जो कालाधन अभी तक लोगों के लॉकर, घरों आदि में पड़ा है, वह बाहर आएगा।
RBI ने ज़ारी किया निर्देश, वर्ष 2005 से पहले छपे सभी नोटों को RBI करेगी रद्द
इंडियन बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि कालेधन के रूप में रखी पूंजी रीयल एस्टेट सेक्टर में 31 मार्च 2014 तक तेजी से निवेश होने की संभावना है। अधिकारी के अनुसार कालाधन रखने वाले लोग अगर बैंक जाएंगे, तो उन्हें एक जुलाई से पैनकार्ड आदि विवरण देना जरूरी होगा। यदि वह ऐसा करते हैं, तो वह सीधे तौर पर आयकर विभाग के दायरे में आएंगे। इससे बचने के लिए रीयल एस्टेट एक सुरक्षित तरीका हो सकता है।
एक बैंक के पूर्व अधिकारी के अनुसार कालेधन को सफेद बनाने के लिए लोग ट्रस्ट के जरिए भी निवेश करेंगे। इसके तहत अचानक कई ट्रस्टों में गुप्त दान की संख्या में इजाफा हो सकता है। ऐसे ट्रस्टों पर आयकर विभाग की नजर रहेगी। अधिकारी के अनुसार 1977-78 में भी हजार के नोट बाजार से हटाए गए थे। उस समय लोगों ने नेपाल के जरिए कालेधन को भेजकर पूंजी वापस नेपाल से भारतीय बैंकों में मंगा ली थी।