LUCKNOW. The villagers did not get the benefit of the Pradhan Mantri Awas Yojana in Khesrawan village of BKT, the government's claims of improving li
लखनऊ । गांव में प्रधान की राजनीति कहें या सचिव की कारगुजारी जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भोगना पड़ता है, मामला बक्शी का तालाब के खेसरावां गांव का हैं जहां पर लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का कोई लाभ नहीं मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना का बड़ा-बड़ा प्रचार प्रसार उन लोगों के लिए सिर्फ झूठा साबित हो रहा है जिनको 5 साल बीत जाने के बाद भी आवास नहीं मिला। आवास योजना का लाभ नहीं मिलने से इन लोगों के जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं आया है, जैसे-तैसे छप्पर और खपरैल के घरों में जीवन यापन कर रहे हैं, बारिश से बचने के लिए छत पर पन्नी डालकर जीवन बरस करते हैं।
- खेसरावां गांव में नहीं मिला ग्रामीणों को आवास
- प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम आने पर भी नहीं मिला
- प्रधान और सचिव की कारगुजारी से ग्रामीण परेशान
- घर नहीं होने से गर्मी, सर्दी और बारिश में मुसीबतें
खेसरावां गांव की अंजू देवी बीए पास हैं लेकिन जीवन जीने के लिए बच्चों को जियाने के लिए पति और पत्नी दोनों को मजदूरी करनी पड़ती है। अंजू देवी बताती हैं कि आवास नहीं मिलने से बहुत दिक्कत होती है, बारिश में तो परेशानी और बढ़ जाती है, कई बार प्रधान और सचिव से कहा पर उन लोगों ने मेरी कोई फरियाद नहीं सुनी, प्रधान का कार्यकाल पूरा हो गया पर आवास नहीं मिला।
अंजू देवी आगे बताती हैं कि मुझको आवास नहीं मिला पर बहुत से अपात्रों को प्रधान ने आवास दिया है, जिनके पक्के मकान हैं, कई मोटरसाइकिलें हैं उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिया गया पर हमको नहीं मिला। गांव की चमेली ने अपनी परेशानी को बताया कि उनके लड़कों को प्रधानमंत्री आवास योजना के घर नहीं मिलते हैं, बारिश में बहुत परेशानी हो जाती है, छोटे-छोटे बच्चों को लेकर बारिश में बैठे रहते हैं, कोठरी चूती है तो क्या करें, खुद भी नहीं लेट पाते और बच्चों को भीगने से बचाने के लिए लेकर बैठना पड़ता है।
खेसरावां गांव की रजनी रावत की कहानी तो बिल्कुल अजीब है उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में आ भी गया पर लाभ नहीं मिला। रजनी बताती हैं कि घर नहीं होने से बहुत दिक्कत होती है, सचिव बताते हैं कि फीडिंग में नाम छूट जा रहा है, प्रधान से कहा पर कोई सुनवाई नहीं हुई अब तो उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया है। रजनी के ससुर विजय पाल रावत ने बताया कि मेरे लड़के को प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्रधान और सचिव ने आवेदन कराया था और सूची में नाम भी आ गया था पर सचिव ने बताया कि फीडिंग में नाम छूट गया है आपत्ति लगाई जा रही है। गलती सचिव कर रहे हैं और भुगत ये लोग रहे हैं।
बरहाल खेसरावां गांव में कई ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर नहीं मिलने से परेशान हैं, कई बार आवेदन के बाद भी उनको कोई लाभ नहीं मिला है। सरकार के 15 लाख देने के दावे की तरह इन लोगों को आवास योजना भी खोखली ही लग रही है।
ब्यूरो रिपोर्ट खबर जोन