Gangagiri dhaam in Lucknow Uttar Pradesh which is related to Mughal Era
लखनऊ | बाबा गंगागिरि धाम सैकड़ों सालों का इतिहास खुद में संजोय है, मुगलों और अंग्रेजों की सैकड़ों साल हुकूमतों का दंश झेलने के बावजूद अपने अस्तित्व को बचाए रखा। राजधानी लखनऊ से चंद किलोमीटर दूर इटौंजा के महोना में बाबा गंगागिरि का धाम अपनी कई मान्यताओं के चलते आस्था का बड़ा केंद्र है। विजयादशमी के अवसर पर भी यहां बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है। करीब 300 साल पहले समाज के उत्थान के लिए बाबा गंगागिरि के जीवित समाधि लेने की मान्यता है। खबर जोन की टीम को पुजारी अ निल कुमार शुक्ला ने बताया कि प्राचीन काल में यहां पर सिर्फ तीन मंदिर थे, माता शीतला का, शंकर जी का और हनुमान जी की चहुमुंखी प्रतिमा का जिसमें बाबा गंगागिरि तप, यज्ञ और पूजा करते थे। बाद में धीरे-धीरे और मंदिरों का निर्माण हुआ।
पुजारी से बात करने के बाद खबर जोन की टीम को पता चला कि इस धाम में मुगलकाल के प्रमाण आज भी मौजूद है तो हमारी टीम ने प्राचीन मंदिरों का रुख किया तो पाया कि सैकड़ों साल पुरानी मां शीतला की खंडित प्रतिमा मौजूद है। भगवान शंकर जी के मंदिर में उर्दू से लिखी हुई शिलापट लगी है और हनुमान जी की चहुमुखी प्रतिमा और कलाकारी को भी देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ये तीन मंदिर बहुत प्राचीन हैं। ऐसा माना जाता है कि उन मंदिरों का निर्माण कायस्थ राजा ने करवाया था।
पुजारी अनिल कुमार शुक्ला ने आगे बताया कि बाबा गंगागिरि के दरबार में सच्ची आत्मा से प्रार्थना करने पर मनोकामना पूर्ण होती हैं, माया और अभिमान लेकर नहीं आना चाहिए। पुजारी ने यह भी बताया कि दूर दूर से लोग बाबा के दरबार में अरदास लगाने आते हैं और बाबा उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
लखनऊ से खबर जोन के लिए मनीष सिंह की रिपोर्ट