Former VP Hamid Ansari emphasised that even before Covid-19, society became a victim of two other pandemics- religiosity and strident nationalism.
नई दिल्ली: पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी (Mohammad Hamid Ansari) ने शुक्रवार को कहा कि आज देश ऐसे प्रकट और अप्रकट विचारों एवं विचारधाराओं से खतरे में दिख रहा है जो उसके हम और वो की काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बांटने की कोशिश करती हैं। हामिद अंसारी ने यह भी कहा कि 'कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से पहले ही भरतीय समाज दो अन्य महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो चुका, जबकि इन दोनों के मुकाबले देशप्रेम अधिक सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है।'
हामिद अंसारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की नई किताब 'द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग' (The Battle of Belonging) के डिजिटिल विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। उनके मुताबिक, चार सालों की अल्प अवधि में भी भारत ने एक उदार राष्ट्रवाद के बुनियादी नजरिए से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक ऐसी नई राजनीतिक परिकल्पना तक का सफर तय कर लिया जो सार्वजनिक क्षेत्र में मजबूती से घर कर गई है।
उन्होंने कहा कि, कोविड एक बहुत ही बुरी महामारी है, लेकिन इससे पहले ही हमारा समाज दो महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो गया था। धार्मिक कट्टरता और उग्र राष्ट्रवाद के मुकाबले देशप्रेम ज्यादा सकारात्मक अवधारणा है।
किताब विमोचन के दौरान चर्चा में भाग लेते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक आब्दुल्ला ने कहा, 1947 में हमारे पास मौका था कि हम पाकिस्तान के साथ चले जाते, लेकिन मेरे वालिद और अन्य लोगों ने यही सोचा था कि दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारे लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार देश को जिस तरह से देखना चाहती है उसे वह कभी स्वीकार नहीं करने वाले हैं।