Supreme Court asks Solicitor General Tushar Mehta appearing for Uttar Pradesh government to inform it how the witnesses in the Hathras case...
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मौत की घटना को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान योगी आदित्यानाथ की सरकार ने सर्वोच्च अदालत के जज की निगरानी में जांच की मांग की। वहीं, कोर्ट ने घटना को भयानक बताते हुए सरकार से कई सवाल भी पूछे। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि हाथरस मामले में गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा रही है। मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध की गई है।
सुनवाई से पहले राज्य सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया कि संभावित दंगों के कारण प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को रात में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया था। खुफिया इनपुट से जानकारी मिली थी कि इस मामले को जाति/सांप्रदायिक रंग दिया जा सकता है। इसके अलावा सरकार ने दावा किया कि हाथरस मामले के बहाने राज्य में दंगा कराने की साजिश रची गई थी।
मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार से गवाहों और परिवार की सुरक्षा, पीड़ित परिवार के पास वकील है या नहीं और इलाहाबाद हाईकोर्ट का स्टेट्स क्या है, इस मुद्दों पर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे ने कहा कि हम पीड़ित पक्ष और गवाहों की सुरक्षा के यूपी सरकार के बयान को दर्ज कर रहे हैं। आप हलफनामा दाखिल करें। इसपर सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम कल तक हलफनामा दाखिल कर देंगे।
बताते चलें कि, इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद ही भयानक घटना है। हम अदालत में दोहराए जाने वाले तर्क नहीं चाहते हैं। इसके आगे कहा कि, हम इलाहाबाद उच्च न्यायलय के समक्ष कार्यवाही के दायरे के बारे में सभी से सुझाव चाहते हैं और हम इसका दायरा बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं।