एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि अफ्रीका में पाया जाने वाला एक परजीवी जो इंसानों में स्लीपिंग सिकनेस की बीमारी का कारण है, वह अपने अनोखे सेक्स चक्र के कारण विलुप्ति हो जाएगा।
वैज्ञानिकों की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने रोगाणु टीबी गैंबियेनसी पर शोध किया तो पाया कि इस प्रजाति ने हज़ारों सालों से सेक्स नहीं किया है।
यह अजीब लगता है कि हज़ारों सालों से सेक्स नहीं किया है फिर भी आज इनकी प्रजाति जीवित है। शोध में पाया गया कि जो परजीवी अभी बचे हैं वह एक ही पूर्वज की संतान हैं और एक दूसरे के क्लोन हैं। यह रोगाणु पश्चिमी और केंद्रीय अफ्रीका में हर वर्ष लाखों लोगों को स्लीपिंक सिकनेस नाम की बीमारी देता है। यह जानलेवा रोगाणु अपने ही सेक्स चक्र की वजह से विलुप्ति की ओर जा रहा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के बायोइन्फॉर्मेटिक्स विशेषज्ञ विली वियर बताते हैं, "हमने यह पाया है कि अफ्रीकी स्लीपिंग सिकनेस की बीमारी का परजीवी हजारों सालों से अस्तित्व में है, वो भी बिना सेक्स किए। लेकिन अब ये इस कार्यप्रणाली के नतीजे भुगतने जा रहा है।" साइंस जर्नल ईलाइफ में छपी इस स्टडी के मुख्य लेखक वियर ने कहा, "सैद्धांतिक रूप से...इसके परिणाम के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है कि आने वाले समय में यह विलुप्त हो जाएगा।"
सेक्स से प्रजनन की प्रक्रिया किसी भी प्रजाति के डीएनए में बदलाव लाता है और यही अनुवांशिक संरचना के बदलने से कोई प्रजाति विकास करती है और म्यूटेशन जैसी विविधताएं मिटती जाती है और यही किसी प्रजाति के अस्तित्व की निरंतरता को बनाए रखता है।
वैसे यह शोध आगाह करता है कि किसी भी प्रजाति के लिए अपनी ही प्रजाति में सेक्स करते रहना कितना आवश्यक है। वहीं यह शोध यह भी बताता है कि इस परजीवी की संरचना को समझने में वैज्ञानिकों को अधिक मदद मिलेगी और स्लीपिंग सिकनेस जैसी बीमारी का इलाज खोजा जा सकता है। यह परजीवी बहुत ही खतरनाक है। सीसी मक्खी के नाम से जाने-जाने वाले इस परजीवी के चपेट में आने लोग सालों तक के लिए सुप्त अवस्था में जा सकते हैं।
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