Monajir will join BJP
पटना। बिहार में सत्ताधारी जदयू जितना संभलने की कोशिश करती जा रही है संकट उतना ही ज्यादा बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज एक मंत्री ने जहां मोर्चा खोल दिया है, वहीं राजद से समझौते का विरोध करते हुए पूर्व सांसद और चार बार मुंगेर से विधायक रहे डाॅ. मोनाजिर हसन ने जदयू छोड़ कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। मोनाजिर ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष शरद यादव को इस्तीफा भेज दिया। वह राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मंत्री भी थे।मोनाजिर को बिहार के दिग्गज मुस्लिम नेता के रूप में जाना जाता है। हसन की बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर में जनता के बीच अच्छी पकड़ है। ऐसे में इनका जदयू से जाना पार्टी को बड़े नुकसान की ओर संकेत कर रहा है। माना जा रहा है कि एक मजबूत मुस्लिम नेता भाजपा के साथ हो जाएगा। वे बुधवार को भाजपा में शामिल होंगे। हसन से पहले साबिर अली, अख्तरूल इमान परवीन अमानुल्लाह जैसे मुस्लिम नेता भी जदयू का साथ छोड़ चुके हैं।
मोनाजिर का कहना है कि जदयू ने राजद से हाथ मिला लिया, उसके बाद वहां मेरे लिए कुछ नहीं बचा था।
जबकि, सच यह है कि पहले वह खुद राजद में थे। हसन को इस बार लोकसभा चुनाव में जदयू ने टिकट नहीं दिया था। जदयू ने तालमेल के तहत बेगूसराय सीट भाकपा के लिए छोड़ दी थी। ऐसे में हसन को राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद थी। लेकिन, वहां भी उनके बदले गुलाम रसूल बलियावी को भेज दिया गया। बताया जाता है कि उनके जदयू छोड़ने की असल वजह यही है। वही दूसरी ओर राज्य सरकार में परिवहन मंत्री रमई राम भी नीतीश कुमार से नाराज नजर आ रहे हैं। रमई राम ने मंगलवार को नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि "हम मंत्री हैं तो चुनाव जीतकर। आठ साल के जदयू शासन में कुछ लोग तो बिना चुनाव लड़े ही मंत्री और मुख्यमंत्री तक बन गए।" दरअसल, सोमवार को नीतीश ने रमई को चेताया था कि आप पहले विधायक हैं, मंत्री बाद में। विधायकों की तो सुननी ही पड़ेगी। माना जा रहा है कि पटना के डीटीओ पद पर रमई राम ने अपने किसी पसंदीदा व्यक्ति को पदासीन कर दिया है जो जद के दो विधायकों को रास नहीं आ रहा है। बस यहीं से विवाद आगे बढ़ गया।
जबकि, सच यह है कि पहले वह खुद राजद में थे। हसन को इस बार लोकसभा चुनाव में जदयू ने टिकट नहीं दिया था। जदयू ने तालमेल के तहत बेगूसराय सीट भाकपा के लिए छोड़ दी थी। ऐसे में हसन को राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद थी। लेकिन, वहां भी उनके बदले गुलाम रसूल बलियावी को भेज दिया गया। बताया जाता है कि उनके जदयू छोड़ने की असल वजह यही है। वही दूसरी ओर राज्य सरकार में परिवहन मंत्री रमई राम भी नीतीश कुमार से नाराज नजर आ रहे हैं। रमई राम ने मंगलवार को नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि "हम मंत्री हैं तो चुनाव जीतकर। आठ साल के जदयू शासन में कुछ लोग तो बिना चुनाव लड़े ही मंत्री और मुख्यमंत्री तक बन गए।" दरअसल, सोमवार को नीतीश ने रमई को चेताया था कि आप पहले विधायक हैं, मंत्री बाद में। विधायकों की तो सुननी ही पड़ेगी। माना जा रहा है कि पटना के डीटीओ पद पर रमई राम ने अपने किसी पसंदीदा व्यक्ति को पदासीन कर दिया है जो जद के दो विधायकों को रास नहीं आ रहा है। बस यहीं से विवाद आगे बढ़ गया।
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