दिवंगत गोपीनाथ मुंडे गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक थे। वो महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता होने क...
दिवंगत गोपीनाथ मुंडे |
गोपीनाथ की निजी ज़िंदगी
गोपीनाथ का जन्म महाराष्ट्र के पारली में 12 दिसंबर 1948 को हुआ था। उनके पिता पांडुरंग मुंडे और मां लिंबाबाई मुंडे एक मध्यवर्गीय किसान थे। मुंडे पांच भाई बहन थे. उनकी बड़ी बहन सरस्वती कराड, बड़े भाई पंडित अण्णा, डो एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय राजनीतिज्ञ हैं। उनके दो छोटे भाई मानिकराव और वेंकट राव। मुंडे की की तीन बेटियां हैं पंकजा, प्रीतम और यशश्री। पंकजा विधायक हैं प्रीतम एक डॉक्टर हैं और यशश्री लॉ कर रही हैं।
गोपीनाथ की पढ़ाई लिखाई
मुंडे की प्रारम्भिक शिक्षा महाराष्ट्र के बीड़ ज़िले के नाथरा गांव में ही हुई। उन दिनों वहां विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे पढ़ने पर मजबूर होना पड़ता था। बाद में उन्होंने पारली ज़िला परिषद हाईस्कूल में एडमिशन लिया था। बताया जाता है कि मुंडे ने अंबाजोगाई के कॉलेज से बी कॉम की डिग्री ली। जबकि पुणे से उन्होंने लॉ की पढ़ाई की थी।
शिक्षा पर विवाद
मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने पर कांग्रेसी नेताओं ने विवाद खड़ा कर दिया। मुंडे के चुनावी हलफनामे के मुताबिक उन्होंने 1976 में पुणे के न्यू लॉ कॉलेज से डिग्री ली थी, जबकि इस कॉलेज की शुरूआत 1978 में हुई थी।
मुंडे का राजनीतिक जीवन
गोपीनाथ मुंडे को राजनीति में लाने का श्रेय उनके दोस्त दिवंगत प्रमोद महाजन को जाता है। महाजन मुंडे के कॉलेज में दोस्त थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले इमरजेंसी का विरोध करने पर मुंडे को इमरजेंसी हटने तक नासिक जेल में रहना पड़ा था। आरएसएस से जुड़ने के बाद उन्हें मंडल कार्यवाहक बना दिया गया था। बाद में मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी यूथ विंग के अध्यक्ष भी बने।
विधानसभा
12 दिसंबर 1991 से 14 मार्च 1995 तक मुंडे महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष रहे। इसके बाद मनोहर जोशी सरकार में वो उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
लोकसभा
2009 में मुंडे बीड़ से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी। 16 वीं लोकसभा में भी वो बीड़ से ही सांसद थे। मोदी सरकार में वो ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए थे। इसके साथ ही सेनिटेशन और पेयजल जैसे महत्वपूर्ण विभाग का ज़िम्मा भी उन्हीं को सौंपा गया था। लेकिन राजनीति के शिखर की ओर बढ़ रहे इस सूर्य पर मानो अकस्मात ही ग्रहण लग गया।
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