parvin amanullah joined aap
पटना। राजनीति को एक नयी दिशा प्रदान करने वाली आम आदमी पार्टी दिल्ली में झंडा फहराने के बाद अब देश के बांकी हिस्सों की ओर बढ़ रही है। लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि राजनीति में शुचिता का सन्देश देने वाली 'आप' क्या अब वैसी ही रही जैसा वो खुद को कहती है। अगर इसे बिहार के परिदृश्य में देखें तो हाल ही में बिहार सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में शामिल हुई परवीन अमानुल्लाह क्या बेदाग़ छवि की हैं? जिस तरह से कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री येदुरप्पा को अपनी कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा था क्यूंकि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को अवैध रूप से ज़मींन आवंटित किया था, ठीक उसी तरह से बिहार की तत्कालीन मंत्री परवीन अमानुलाह ने अपनी बेटी को करोड़ों रूपये की ज़मीन कौड़ी के भाव दे दिया था।
करीब 3 साल पहले बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी (BIADA) ने करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव नेताओं के रिश्तेदारों को अलॉट कर दी थी। इसको लेकर बिहार की राजनीति में जबरदस्त बवाल मचा था। कुछ लोगों ने इसे बिहार का 2जी घोटाला करार दिया था। मंत्री परवीन अमानुल्लाह की बेटी रहमत फातिमा अमानुल्लाह को भी 87,120 वर्ग फुट जमीन दी गई थी। करोड़ों की यह जमीन कौड़ियों के भाव पर दी गई थी। हालांकि, इसमें जिन लोगों को जमीन दी गई थी उनमें बड़ी संख्या में उस वक्त की नीतीश सरकार में शामिल नेताओं के नजदीकी रिश्तेदार शामिल थे। इसमें जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी के भी कई नेता शामिल थे। इस घोटाले के खुलासे के बाद विपक्षी पार्टियों ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी, लेकिन नीतीश सरकार ने उनकी मांग खारिज कर दी। उन्होंने चीफ सेक्रेटरी अनुप मुखर्जी को जांच का जिम्मा सौंप दिया। जैसा कि सभी विभागीय जांचों का हश्र होता है, इसका भी वैसा ही हश्र हुआ और सभी आरोपियों को क्लीन चिट मिल गई।
गौरतलब है कि बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी का गठन प्रदेश में औद्योगिकरण को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लेकिन अधिकांश जमीन उद्योगपतियों की जगह रसूखदार लोगों के बच्चों को अलॉट कर दिया गया। ठीक इसी तरह 2जी घोटाला और कोयला घोटाला हुआ था। इन घोटाले के खिलाफ केजरीवाल आग उगलते हैं, लेकिन बिहार में हुई जमीनों की बंदरबांट के मामले में आरोपी की मां को अपनी पार्टी में शामिल किया। ऐसे में केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर सवाल उठना लाजिमी है। गौरतलब है कि ऐसा मामला यूपी में सामने आया था, जहां पर नीरा यादव ने अपनी बेटियों को जमीन अलॉट कराई थी। उस घोटाले की सीबीआई जांच हुई थी, जिसमें नीरा को दोषी पाया गया था। उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था।
इसके आलावा अमानुल्लाह पर कई बार घूसखोरी का भी आरोप लगा है जिसमे ताज़ा मामला हाजीपुर का है। दरअसल हाजीपुर के विदुपुर ब्लॉंक की सीडीपीओ कविता कुमारी ने परवीन अमानुल्लाह और उनके सहयोगियों पर मारपीट करने और 10 लाख रुपये रिश्वत मांगने का मुकदमा दर्ज कराया है। सूत्रों की मानें तो शुरू में परवीन ने पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। पुलिस केस दर्ज करने में आनाकानी करती रही, लेकिन जब यह मामला मीडिया में जोर पकड़ने लगा तो इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई।
आमलोगों के कथनानुसार इनका काम करने का तरीका ही यही था। मंत्री महोदया कहीं भी औचक निरीक्षण के लिए पहुँच जाती थी और अधिकारी को निलंबित कर देती थीं। इसके बाद लाखों रुपये लेकर ही उनका निलंबन रद्द करती थीं। वसूली के लिए उन्होंने खास लोग रखे थे। लेकिन परवीन अनामुल्लाह ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। परवीन ने कहा कि मैं जब मंत्री बनी थी तो आंगनबाड़ी के सिर्फ 5 पर्सेंट सेंटर चलते थे, जबकि अब 99 फीसदी सेंटर सुचारु ढंग से चलते हैं। इन सभी आरोपों को लेकर जब 'आप' नेता आशुतोष से पूछा गया तो उन्होंने मामले की जानकारी ना होने की बात कही। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या आम आदमी पार्टी भी बांकी पार्टियों के रस्ते चल पड़ी है, या फिर पार्टी लोगों के सामने नया उदहारण पेश करेगी।
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