बारामूला। 10 जनवरी की दोपहर को सामान्य तौर पर उत्तरी कश्मीर के पुराने कस्बे बारामूला में पत्थरबाज़ी करनेवाले युवाओं के तौर पर जाने-जाने ...
बारामूला। 10 जनवरी की दोपहर को सामान्य तौर पर उत्तरी कश्मीर के पुराने कस्बे बारामूला में पत्थरबाज़ी करनेवाले युवाओं के तौर पर जाने-जाने वाला एक ग्रुप डाक बंगले में इकट्ठा हुआ जहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, कोई गार्ड नहीं था और ना ही कोई दर्शक।
हॉल में सन्नाटा छाया था और वो टूट रहा था डाक बंगले की छत से टपकते बरफ से। और इसी बीच में एक क्लीन शेव व्यक्ति जो 30-32 साल का होगा, उसने अंडाकार मेज़ की दूसरी तरफ़ से बोलना शुरू किया। और हॉल में बैठा हर शख़ास जो इस पुराने कस्बे में डरा-सहमा रहता है, वो रविंदर रैना नाम के इस शख़्स को बेहद शांति से सुन रहा था। रविंदर रैना जम्मू-कश्मीर भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं, जो बीजेपी का यूथ विंग है।
रैना ने जिस दिन पत्थरबाज़ी के जाने-जानेवाले 8 लड़कों को संबोधित किया उसके दूसरे दिन ही बीजेपी उस बारामुला कस्बे से ऐसे 70 युवाओं को साथ लाने में कामयाब रही जहां पिछले एक दशक से पुलिस भी अपनी चौकी तक बनाने में नाकाम रही है।
एक न्यूज़ पोर्टल से बात करते हुए रैना ने बताया कि ये कोई बड़ी संख्या नहीं है लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी, यहां तक कि क्षेत्रीय पार्टी भी दावा नहीं कर सकती कि उनके पास 50 कार्यकर्ता भी इस इलाके में हैं। रैना ने कहा कि, “मैं उन्हें पत्थरबाज़ी करनेवाला नहीं कहता, ये नौजवान बच्चे हैं, जो बेरोज़गार हैं और कश्मीर की सरकार के धोखे का शिकार हैं। और हम भविष्य में उनके मुकदमे लड़ेंगे”
मुख्य राजनीतिक दल इन लड़कों के साथ बात कर रहे थे और बीजेपी ने इन्हे साथ लाने में कामयाबी हासिल की है। रैना ने कहा कि, “ये हमारे लिए बड़ी कामयाबी है। ये हमारे बच्चे हैं। हमें इन बच्चों को मुख्य धारा में लाना है। जब हमने उन्हें बताया कि अटल बिहारी वाजपयी के प्रधानमंत्री रहते हुए बीजेपी ने क्या कुछ कहा तो उनकी आंखें खुल गईं।”
रैना ने कहा कि मोदी के कट्टर हिंदुत्व की छवि को लेकर चर्चा भी नहीं हुई। कश्मीर में हुआ ये सियासी बदलाव बेहद अहम है। बारामूला वो इलाका है जहां अक्सर विवाद होते रहते हैं और सुरक्षा एजेंसियां इसे कश्मरी का रेड ज़ोन कहती है। यहां अलगाववादी विचारधारा लोगों के दिलों तक में बसी हुई हैं जहां एक पाकिस्तान के पक्ष में भी संगठन काम करते हैं। यहां मुख्यधारा के सियासी दलों के साथ मिलना, मौत को दावत देने के बराबर है। आतंकियों ने कईयों को राजनीतिक दलों के साथ जुड़ने पर दिन दहाड़े मार दिया है।
इन सब के बीच बीजेपी इन युवाओं को मुख्य धारा की राजनीति में लाने में कामयाब हुई है। मुनीर अहमद (बदलाहुआ नाम) एक 22 साल का युवक जिसे कैमरे पर पत्थरबाज़ी करते हुए पकड़ा गया था, वो सभी राजनीतिक दलों के पास अपने ऊपर लगे मुकदमें में मदद के लिए गया लेकिन कोई उसके बचाव में नहीं आया। उसका कहना है कि, “जब पार्टी (बीजेपी) नेताओं ने मुझसे कहा कि वो हमारे लिये लड़ेंगे तो मैंने पार्टी ज्वाइन कर ली। ये सिर्फ उस मुकदमें के बारे में नहीं है, बल्कि ये उनके प्रयासों के लिए है कि वो कम से कम हमसे मिलने तो आये, जो किसी और ने नहीं किया।”