I know he will become pm one day says modi'swife
नई दिल्ली। जब से नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम प्रत्याशी घोषित हुए हैं उनके बारे में कई तरह की अफवाहें उड़ती रही हैं. कभी इनका नाम किसी लड़की से जोड़ा जाता है तो कभी बताया जाता है कि ये कुंवारे हैं. लेकिन आज खबरजोन एक सनसनीखेज़ खुलासा करने जा रहा है. अगर दैनिक अखबार न्यूज़ पेपर की मानें तो नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं. जी हाँ और उनकी पत्नी जशोदाबेन का कहना है कि जब वो 17 साल की उम्र में थीं तो उसी वक़्त उनकी शादी नरेंद्र मोदी से हो गयी थी. लेकिन तीन साल के बाद ही दोनों अलग हो गए. 62 वर्षीय रिटायर्ड स्कूल टीचर जशोदाबेन राजनीति की उठापटक से कोसों दूर सन्नाटे में जिंदगी बसर कर रही हैं। उनका अधिकतर समय पूजा-पाठ में गुजरता है। अपने रिश्तेदारों से मिलने अहमदाबाद पहुंची जशोदाबेन कई साल बाद मीडिया को इंटरव्यू देने के लिए राजी हुई, लेकिन तस्वीर खिंचवाने से इनकार कर दिया। परन्तु इन्डियन एक्सप्रेस द्वारा जारी एक तस्वीर भी आपको दिखा रहे हैं साथ उन्होंने इस अखबार से जो बातचीत की और क्या-क्या कहा, जरा गौर कीजिए?
सवालः आपकी शादी को कितने साल गुजर गए और उस रिश्ते की क्या स्थिति है?
जशोदाबेनः जिस वक्त शादी हुई, मेरी उम्र 17 बरस थी...मैं जब उनके घर गई, तो पढ़ाई छोड़ चुकी थी, लेकिन मुझे याद है कि वो कहा करते थे कि मुझे आगे भी पढ़ना चाहिए। वह मुझसे ज्यादातर वक्त पढ़ाई पूरी करने पर बात करते थे। शुरुआत में वह मुझसे बात करने में दिलचस्पी दिखाते थे और रसोई के कामकाज में भी दखल देते थे।
सवालः क्या आपको इस रिश्ते का बोझ महसूस होता है, खास तौर से तब जब मीडिया आपके रिश्ते के बारे में सवाल करता है? क्या आपको लो-प्रोफाइल रहने के लिए हिदायत दी गई है?
जशोदाबेनः हम कभी एक-दूसरे के संपर्क में नहीं रहे और हम जब अलग हुए थे, तब भी सब कुछ ठीक था, क्योंकि हमारे बीच कभी लड़ाई नहीं हुई। मैं वो बातें नहीं बनाऊंगी, जो सच नहीं हैं। तीन साल में हम शायद तीन महीने ही साथ थे। अलग होने से लेकर आज तक, हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
सवालः क्या आपको नरेंद्र मोदी के बारे में खबर रहती है?
जशोदाबेनः जी हां, मुझे जब भी कुछ मिलता है, मैं जरूर पढ़ती हूं। मैं अखबारों में छपने वाले सभी लेख पढ़ती हूं और टेलीविजन पर खबरें भी देखती हूं। मुझे उनके बारे में पढ़ना अच्छा लगता है।
सवालः अगर वह देश का अगला प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली जाते हैं और आपको बुलाते हैं, तो क्या आप उनके पास जाएंगी? क्या आप उनसे मुलाकात की कोशिश करेंगी?
जशोदाबेनः मैं उनसे कभी मिलने नहीं गई और हम कभी संपर्क में नहीं रहे। मेरा ऐसा मानना है कि वह मुझे कभी नहीं बुलाएंगे। मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि मैं उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती। मैं सिर्फ प्रार्थना करती हूं कि वह आगे बढ़ें। मैं जानती हूं कि वह एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे!
जशोदाबेनः उन्होंने एक बार कहा था, "मुझे देश भर में घूमना है और जहां मेरा मन करेगा, मैं वहां चला जाऊंगा, तुम मेरे पीछे आकर क्या करोगी?" जब मैं उनके परिवार के साथ रहने के लिए वाडनगर आई, तो उन्होंने मुझसे कहा, "अभी तुम्हारी उम्र ज्यादा नहीं है, फिर तुम अपने ससुराल में रहने के लिए क्यों आ गईं? तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।" अलग होने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी कोई टकराव नहीं हुआ। साथ ही वो मुझसे आरएसएस या किसी और राजनीतिक विचारधारा की बात कभी नहीं करते थे। जब उन्होंने मुझे बताया कि वह मनमुताबिक देश भर में घूमना चाहते हैं, तो मैंने कहा कि मैं भी उनके साथ आना चाहूंगी। हालांकि, कई मौकों पर जब मैं अपने ससुराल गई, तो वह वहां नहीं होते थे और उन्होंने वहां आना भी छोड़ दिया। वह काफी वक्त आरएसएस शाखाओं में गुजारा करते थे। इसलिए मैंने एक वक्त के बाद वहां जाना छोड़ दिया और अपने पिता के घर लौट गई।
जशोदाबेनः जब कभी लोग उनका नाम लेते हैं, मेरा जिक्र कहीं न कहीं जरूर आता है, भले बैकग्राउंड में आए। क्या आप मुझसे इतनी दूर मुझे तलाश करते हुए, इंटरव्यू लेने यहां तक नहीं आए हैं? अगर मैं उनकी पत्नी न होती, तो क्या आप मुझसे बात करने यहां आते?
सवालः क्या आपको इस बात का बुरा नहीं लगता कि मोदी ने इतने साल में आपको पत्नी का दर्जा नहीं दिया?
जशोदाबेनः नहीं, मुझे जरा बुरा नहीं लगता क्योंकि मैं जानती हूं कि वह ऐसा किस्मत और बुरे वक्त की वजह से कर रहे हैं। इन हालात में उन्हें इस तरह की बातें कहनी पड़ती हैं और झूठ भी बोलना पड़ता है। मैं अपने हालात को भी बुरा नहीं मानती, क्योंकि एक तरह से मेरी किस्मत में भी सुधार आया है।
जशोदाबेनः इस अनुभव के बाद मुझे नहीं लगता कि मैं दोबारा शादी करना चाहती थी। मेरा दिल ही नहीं था।
सवालः जब आप अपने माता-पिता के घर लौट आईं, तो खुद को कैसे संभाला?
जशोदाबेनः मेरे सास-ससुर अच्छा व्यवहार करते थे, लेकिन शादी के बारे में कभी बात नहीं करते थे। मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई के लिए फीस चुकाई और उसे जारी रखने के लिए मेरे भाइयों की तरफ से भी आर्थिक मदद मिली। जब मैं दो साल की थी, तो अपनी मां को खो दिया था। और जब मैंने दोबारा पढ़ाई शुरू की, तो दो साल बाद पिता चल बसे। उस वक्त मैं दसवीं क्लास में थी। हालांकि, जब मैंने पढ़ाई शुरू की, तो मुझे उसमें लुत्फ आने लगा और साल 1974 में मैंने एसएससी की। इसके बाद 1976 में टीचर ट्रेनिंग पूरी हुई और 1978 में मैं टीचर बन गई।
सवालः रिटायरमेंट के बाद दिन कैसे गुजारती हैं?
जशोदाबेनः मुझे पढ़ाना अच्छा लगता है और मैंने पहली से पांचवी क्लास में अध्यापन किया है। मैं सभी विषय पढ़ाया करती थी। इन दिनों मेरे दिन की शुरुआत सवेरे 4 बजे होती है और अम्बे मां की पूजा से शुरुआत करती हूं। मैं अपना सारा वक्त भक्ति में गुजारती हूं। मैं ज्यादातर वक्त अपने बड़े भाई अशोक मोदी के साथ गुजारती हूं, जो उंझा में रहते हैं, लेकिन साथ ही जब मन करता है तो अपने दूसरे भाई के यहां भी चली जाती हूं जो उंझा के करीब ब्राह्वण वाडा में रहते हैं। मुझे लगता है कि जिंदगी में मुझे भाई बहुत अच्छे मिले, जिन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा।
नरेंद्र मोदी कई बार शशि थरूर के पत्नी सुनंदा पुष्कर पर कई बार तंज़ कस्ते रहे हैं लेकिन जब इनसे इनकी पत्नी के बारे में सवाल पूछा गया तो हमेशा ये चुप्पी साध लेते हैं. भाजपा के लिए भी यह संवेदनशील मुद्दा है और लोकसभा चुनावों से ऐन पहले मोदी की पत्नी का इंटरव्यू विरोधियों को एक बार फिर हमला बोलने का साधन दे सकता है। अभी तक विरोधी जिन्हे मोदी के खिलाफ मुद्दे तलाश कर रहे थे उनके लिए ये एक बड़ा हाथ लग गया है.
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