Facts of Gujrat development
नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ हवा को भुनाने के लिए बीजेपी मोदी को विकास पुरुष के तौर पर प्रचारित कर रही है उधर मोदी भी गुजरात मॉडल का खूब बखान कर रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री बनने का सपना मन में लिए मोदी देश और दुनिया को जो चमकता हुआ गुजरात दिखा रहे हैं, वो यहां की सड़कों और फ्लाईओवरों में है, वो यहां के औद्योगिक प्रतिष्ठानों में है। और दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में है। लेकिन सवाल ये कि आखिर विकास किसका और किसके लिए। इस जगमग चकाचौंध के बीच गुजरात का कुछ स्याह सच ऐसा भी है जिसे या तो मोदी भूल जाते हैं या फिर छिपाना चाहते हैं।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने गुजरात के कुछ स्याह सत्य उजागर किया है जो क्रमशः हैं...
* अस्थायी ग्रामीण मजदूरों को मजदूरी देने के मामले में देश के 20 बड़े राज्यों में गुजरात 14वें स्थान पर है।
* स्थायी ग्रामीण मजदूरों और स्थायी शहरी मजदूरों को मजदूरी देने के मामले में गुजरात क्रमशः 17वें और 18वें स्थान पर है। इसका मतलब यह है कि गुजरात में मजदूरों की हालत बुरी है और ऐसा होने की वजह से उनकी क्रय शक्ति कम है। अध्ययन बताते हैं कि ऐसे परिवारों में कुपोषण और अशिक्षा जैसी स्थितियां सामान्य होती हैं।
* सरकारी रिपोर्ट बताती हैं कि शिशु मृत्यु दर के मामले में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में गुजरात सातवें स्थान पर है। अब भी यहां प्रति हजार नवजात बच्चों में से 50 काल के गाल में समा रहे हैं।
औसत उम्र के मामले में गुजरात आठवें स्थान पर है।
* लिंग अनुपात के मामले में भी गुजरात आठवें स्थान पर है और यहां 1000 पुरुषों की तुलना में 886 महिलाएं ही हैं। गुजरात के शहरी इलाकों में औसत घटकर 856 पर पहुंच जाता है। साल से कम उम्र के बच्चों के आयु वर्ग में यह औसत घटकर 841 पर पहुंच जाता है।
* पहली से दसवीं कक्षा के बीच पढ़ाई छोड़ने के मामले में गुजरात का औसत 59.11 फीसदी है। यह 56.81 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से थोड़ा ही बुरा है लेकिन इस मामले में 13 राज्यों का प्रदर्शन गुजरात से अच्छा है।
* घरों में पानी की आपूर्ति के मामले में गुजरात देश के सभी राज्यों में 14 वें स्थान पर है। यहां के 58 फीसदी घरों में ही नल के जरिए पानी पहुंचता है।
रघुराम राजन कमिटी की रिपोर्ट में भी मोदीराज का कच्चा चिटठा उजागर हुआ है। इनकी रिपोर्ट के अनुसार डेवलेपमेंट इंडेक्स में गुजरात का नंबर 12वें स्थान पर आता है। जबकि मोदी इसे दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर बता रहे हैं।
सीएजी रिपोर्ट ने भी मोदी के तमाम दावों की पोल खोली है।
* सीएजी के मुताबिक ऋण प्रबंधन में गुजरात फेल है. राज्य पर 15083 करोड़ का ऋण है।
* गुजरात में इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न भी एवरेज ही है। यहां कॉर्पोरेशन, बोर्ड, सरकारी कंपनियों और ग्रामीण बैंकों में कुल 39179 करोड़ का निवेश किया गया है। लेकिन इसका एवरेज रिटर्न मात्र 0.25 फीसदी है। जबकि मोदी गुजरात को निवेशकों का स्वर्ग बताते हैं।
* सीएजी को गुजरात सरकार से 9066.34 करोड़ रुपये का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत न करने की शिकायत है।
* सीएजी के मुताबिक गुजरात सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर कई और राज्यों की तुलना में कम खर्च कर रही है। दूसरी ओर मोदी के भाषणों में शिक्षा और स्वास्थ्य की बातें ज्यादा होती हैं।
* गुजरात में कंप्यूटर साक्षरता और शिक्षा के लिए 292 करोड़ रखे गए थे लेकिन सीएजी के मुताबिक गुजरात सरकार केवल 88 करोड़ की खर्च कर पाई। ये ही नहीं स्पेशल कोर्ट के लिए 629 करोड़ में से भी गुजरात सरकार ने महज 252 करोड़ रुपये ही खर्च किए।
* सड़कों और इमारतों के निर्माण के लिए रखे करीब 958 करोड़ रुपये में से गुजरात सरकार आधा भी खर्च नहीं कर पाई। ये ही नहीं सीएजी ने इस डिपार्टमेंट में कई गड़बड़ियां और खामियां भी उजागर की हैं।
* सीएजी के मुताबिक गुजरात में कुपोषण की वजह से हर तीसरा बच्चा यानी 66 फीसदी बच्चे मानक वजन से कम के हैं।
लेकिन इन तथ्यों के उलट मोदी देश भर में ऐसा माहौल बनाने में कामयाब रहे हैं कि उन्होंने गुजरात का खासा विकास किया है और विकास का अगर कोई मॉडल पूरे देश के लिए हो सकता है तो वह है सिर्फ गुजरात का ही मॉडल। जानकार मानते हैं कि मोदी को बड़ा बनाने में कहीं न कहीं विपक्ष की भी अपनी भूमिका रही है. विपक्ष न तो गुजरात और न ही गुजरात के बाहर मोदी की नाकामियों को सही ढंग से रखने में सफल हुआ है।
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