aap members are protesting against their party candidate
पटना/बांका। आम आदमी पार्टी, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये सीधा जनता से कनेक्ट करती है। यहाँ हर फैसला जनता के हितों के लिए और जनता के द्वारा ही लिया जाता है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव प्रत्याशी तय करने के लिए भी 'आप' जनता के बीच गयी। ऐसा लग रहा था कि एक ऐसी पार्टी जनता के बीच आयी है, जो धीरे-धीरे जनता की धड़कन बनती जा रही है।
लेकिन लोकसभा चुनाव आते-आते ऐसा लग रहा है कि अब यह पार्टी जनता से दूर हो चुकी है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए हमारे पास इतना वक़्त नहीं है कि हम जनता के बीच जा कर अपना प्रत्याशी तय करें। इसलिए हम प्रत्याशियों से एक आवेदन पत्र भरवा रहे हैं, जिसमे हर विधानसभा से कम से कम 100 लोगों द्वारा आवेदक को स्वीकृति मिली होनी चाहिए। फिर उसके बाद इंटरव्यू और अंततः प्रत्याशी के नाम की घोषणा पार्टी द्वारा की जायेगी।
लेकिन 'आप' के लिए बिहार का बांका लोकसभा क्षेत्र एक उदाहरण बनता जा रहा है, जहाँ इन सभी नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। दरअसल हाल ही में पार्टी में रिटायर्ड जनरल पी.सी. पंजिकार शामिल हुए हैं। लेकिन पार्टी में शामिल होते ही उन्होंने वहाँ के स्थानीय अखबार वालों के सामने घोषणा कर दिया कि "आम आदमी पार्टी ने मुझे बांका का लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया है।" इसमें सबसे आश्चर्यजनक ये है कि उन्होंने अभी तक लोकसभा उम्मीदवारी के लिए न तो नामांकन किया है और ना ही उनका अब तक इंटरव्यू हुआ है।
दरअसल पी.सी. पंजिकार के स्वघोषित उम्मीदवारी से बांका के पार्टी कार्यकर्ताओं में क्षोभ और निराशा की लहर दौड़ने लगी है। खबरजोन के सूत्रों के मुताविक अगर इस खबर में ज़रा सी भी सच्चाई होगी तो सभी स्थानीय कार्यकर्ता पंजिकार के विरोध में खड़े हो जाएंगे। ये सभी कार्यकर्ता बस बांका उम्मीदवारी की घोषणा का इंतज़ार कर रहे हैं। एक वरिष्ठ 'आप' कार्यकर्ता ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि "जो लोग इंटरव्यू पैनल तक पहुंचे हैं उसकी हमारे पास पूरी लिस्ट है, जिसमे पंजिकार का नाम कहीं नहीं है। अब अगर पार्टी इन्हे उम्मीदवार बनाती है तो हम इनका ज़बरदस्त विरोध करेंगे। क्यूँकि हमें एक ऐसा प्रत्याशी नहीं चाहिए जिसे क्षेत्र में कोई नहीं जानता है।"
वैसे अगर यहाँ पार्टी कार्यकर्ताओं की मानें तो इनका कहना है कि पंजिकार की पहुँच पार्टी में राष्ट्रीय स्तर तक है, यही कारण है कि पार्टी में शामिल होते ही उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी जगह मिल गयी। यहाँ सभी कार्यकर्ताओं के मन में एक ही सवाल कौंध रहा है कि अगर इसी तरह से प्रत्याशी हमारे सर पर बिठाना ही था तो इस तरह आवेदन और इंटरव्यू का नाटक ही क्यूँ चल रहा है। अब ऐसा लग रहा है कि अगर पंजिकार बांका से प्रत्याशी बने तो पार्टी में ही इनका ज़बरदस्त विरोध होनेवाला है।