BJP accused of funding from foreign company
ऐसे में जबकि विदेशी फंडिंग को लेकर देश के सियासी हलकों में कोहराम मचा है बीजेपी पर आरोप है कि उसने एक विदेशी कंपनी से चंदा लिया है। ये वो ही बीजेपी है जिसने आम आदमी पार्टी को प्रवासी भारतीयों से चंदा लेने पर आसमान सिर पर उठा लिया था।
बीजेपी ने लिया विदेशी कंपनी से चंदा
वेब पोर्टल BeyondHeadlines ने दावा किया है कि बीजेपी ने सारे नियमों को ताक पर रखकर एक विदेशी कंपनी से चंदा लिया है। ये ही नहीं BeyondHeadlines के अफरोज़ आलम साहिल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि बीजेपी को विदेशी चंदे की बात केंद्रीय गृहमंत्रालय ने खुद स्वीकार की है गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में बाकायदा एफीडेविट देकर इस विदेशी कंपनी की बाबत जानकारी दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट में दिए गए केंद्रीय गृहमंत्रालय की कॉपी के हवाले से BeyondHeadlines लिखता है कि ये एफिडेविट गृह मंत्रालय के FCRA (MU) सेक्शन में असिसटेंट डायरेक्टर पंकज बंसल की ओर से दाखिल किया गया है. एफिडेविट में 7 बड़ी कंपनियों का जिक्र है जिनसे राजनीतिक दलों को चंदा मिला है. इन कंपनियों में वेदांता-मद्रास एल्युमिनियम लिमिटेड, हयात रीजेंसी, विन मेडीकेयर प्राइवेट लिमिटेड, अदानी विलमर लिमिटेड, स्टरलाइट इंडस्ट्री, डाऊ केमिकल और सेसा गोआ शामिल हैं. एफिडेविट में FCRA एक्ट, 2010 के सेक्शन 2(1)(g)(i) के तहत इन कंपनियों की स्थिति स्पष्ट की गई है और साफ किया गया है कि ये कंपनियां विदेशी कंपनी के दायरे में आती हैं या नहीं.
'डाऊ केमिकल' से मिला बीजेपी को फंड
BeyondHeadlines के मुताबिक 7 पन्नों के इसी एफिडेविट के पांचवें पन्ने पर ‘डाऊ केमिकल’ कंपनी के बारे में जानकारी दी गई है। डाऊ केमिकल वही कंपनी है जिससे बीजेपी को फंड मिला है। एफिडेविट में डाऊ की बाबत लिखा है कि डाऊ एक विदेशी कंपनी है और FCRA 2010 के प्रावधानों के तहत विदेशी स्रोत है। इतना ही नहीं, डाऊ केमिकल के 99.99 फीसदी शेयर डाऊ केमिकल (पैसिफिक) सिंगापुर और 0.01 फीसदी शेयर डाऊ केमिकल (सिंगापुर) के पास हैं।
क्यों चुप है केंद्र सरकार?
खास बात यह भी है कि ये एफिडेविट 12 मार्च 2013 को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपा जा चुका है. इसके बावजूद केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है और बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई तो दूर, उसे नोटिस तक देने की ज़हमत नहीं उठाई गई।
खबरज़ोन के सवाल
बीजेपी को विदेशी कंपनी से चंदा मिलना और केंद्र की कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार का इस मसले पर चुप्पी साध लेना कई बड़े सवाल खड़े करता है।
1. क्या बीजेपी को जानबूझकर ये रियायत दी जा रही है?
2. क्या विदेशी चंदे पर दोनों पक्षों में आपसी सहमति है?
3. क्या अभी भी केंद्र सरकार के पास बीजेपी के खिलाफ़ पुख्ता सबूत नहीं?