Shivanand is unhappy from JDU
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी ही पार्टी जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने खुली बगावत कर दी है। तिवारी के बगावत की बू पिछले कार्यकर्ता सम्मलेन से ही आ रही थी। लेकिन अब राज्यसभा का टिकट न मिलने से गुस्साए शिवानंद तिवारी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह को खुली चिट्ठी लिखी है और नीतीश कुमार पर जमकर भड़ास निकाली है। उनकी चिट्ठी का पूरा मजमून नीचे दिया जा रहा हैः-
प्रिय बशिष्ठ भाई,
आज के अखबारों में लोकसभा चुनाव लड़ने के संबंध में फैसला करने के लिए मुझे अल्टीमेटम देने की खबर आपके हवाले से छपी है। इस खबर से मैं स्तब्ध हूं। लगता है कि आपकी स्मरणशक्ति पर उम्र का असर समय से पहले पड़ने लगा है। 22 जनवरी की रात नौ-साढ़े नौ बजे के लगभग आपने मुझे नीतीश कुमार का फरमान सुनाया था कि मुझे बक्सर से चुनाव लड़ना है तो अविलंब मैंने आपको बता दिया था कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। जो व्यक्ति मुझे काटने के लिए बाकी दो निर्दोषों का भी राज्यसभा का पत्ता काट दे, उसके टिकट पर चुनाव लड़ने की मूर्खता मैं कैसे कर सकता हूं?
मेरी बात अगले दिन कर्पूरी जयंती के दौरान साबित हो गई। जब नीतीश ने अपने भाषण के दरमियान चुनौती भरे लहजे में कहा कि जो लोग कहते हैं कि पार्टी कमजोर है, वे चुनाव लड़कर दिखाएं। जिस ढंग से पार्टी चलाई जा रही है उससे पार्टी कमजोर हो रही है ऐसा तो सिर्फ मैंने ही राजगीर के शिविर में कहा था तो एन के सिंह और साबिर अली को राज्यसभा से काटकर चुनाव लड़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है? जो आदमी नफरत की हद तक मुझे नापसंद करता है, जो मुझे काटने के लिए दो निर्दोषों का निष्ठुरता के साथ वध कर सकता है, उसकी ओर से चुनाव लड़ने की बात मैं कैसे सोच सकता हूं?
हद तो साबिर के मामले में हुई है। उसे तो रामविलास पासवान ने राज्यसभा में भेजा था। उसका तो वही टर्म समाप्त हो रहा है। दोबारा राज्यसभा में उसको भेजा जाएगा, इसी शर्त पर वह हम लोगों के साथ आया था। मेरी जानकारी के अनुसार, जो कि पक्की है, पिछली बार नीतीश जब दिल्ली आए थे, तब बिहार निवास में साबिर अली और एन के सिंह के सामने किसी ने नीतीश से पूछा कि साबिर साहब का टर्म तो समाप्त हो रहा है। अब इनका क्या होगा तो नीतीश ने सबके सामने कहा था कि साबिर साहब दोबारा राज्यसभा जाएंगे। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में साबिर का किस प्रकार दोहन हुआ है यह बहुतों की जानकारी में है, जिसमें थोड़ी भी आदमीयत होगी वह उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार कैसे कर सकता है।
मैं अच्छी तरह जानता हूं कि नीतीश जिताने के लिए नहीं, मुझे हराने के लिए चुनाव लड़ने को कह रहे हैं। एनडीए से जब हमलोग बाहर निकले थे उसी समय मैंने नीतीश को कहा था कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं। आप लड़िए, ये कहने में उस समय क्या दिक्कत थी। चुनाव लड़ने का फैसला सुनाने के लिए श्रीकृष्ण मेमोरियल का मंच क्यों चुना गया। फैसला सुनाने का जो अंदाज और तेवर था वह चुनाव जिताने वाला था या हराने वाला? इसीलिए परसों जब दोबारा आपने पूछा तो फिर मैंने इनकार कर दिया था। फिर यह अल्टीमेटम वाली बात कहां से आ गई। आश्चर्य है।
आपका साथी
शिवानंद तिवारी
शिवानंद तिवारी की इस चिट्ठी पर जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि जो व्यक्ति तीन चार माह पहले नीतीश कुमार के लिए कसीदे पढ़ता हो, वो आज चिट्टी लिख रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं। आप खुद समझ लीजिए कि स्वार्थी कौन है। ये अंगूर खट्टे हैं वाली बात है। अभी तो पहली चिट्ठी आई है, दूसरी देखिए कब आती है। हमारे प्रदेश अध्यक्ष पर इस तरह का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है। ये मौका परस्ती है। जब इनको भी शुरू में राज्यसभा भेजा गया था तो कई सवाल उठे थे।
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