newly appointed uppsc chairman is doing castism
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी अफसरों की भर्ती करने वाली संस्था यानी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग धांधली के गंभीर आरोपों से घिर गई है। आरोप है कि अखिलेश सरकार ने तमाम काबिल उम्मीदवारों को दरकिनार कर अपने खास अफसर को UPPSC का चेयरमैन बनाया और अब एक खास बिरादरी और इलाके के उम्मीदवारों को चुन-चुनकर सरकारी नौकरी दे रहे हैं। सरकारी भर्तियों में हो रही इन गड़बड़ियों के खिलाफ तमाम प्रतियोगी छात्र सड़क पर उतर आए। यूपी के इलाहाबाद में सैकड़ों छात्र, जो सालों से बस एक सरकारी नौकरी की आस में इलाहाबाद में पढ़ाई कर रहे हैं, आज सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इन छात्रों का सरकारी नौकरी देने वाली यूपी की सबसे प्रतिष्ठित संस्था लोकसेवा आयोग से इनका भरोसा टूट गया है। दरअसल अखिलेश सरकार ने जब से अनिल यादव की नियुक्ति आयोग का चेयरमैन के रूप में किया है तभी से प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। आरोप है कि तमाम उम्मीदवारों को दरकिनार कर अनिल यादव को यूपीपीएससी का चेयरमैन बनाया गया। आरोप ये भी है कि आयोग में तैनाती के बाद अनिल यादव ने यादव बिरादरी के छात्रों को जमकर नौकरियां बांटी।
अनिल यादव पर आरोप लगाने वाले प्रदर्शनकारी आंकड़ों की दलील दे रहे हैं। पीसीएस 2011 के मुख्य परिणाम में ओबीसी के लिए आरक्षित 82 सीटों में से 68 सीटों पर यादव बिरादरी के उम्मीदवार चुने गए। इनमें ज्यादातर मैनपुरी, इटावा, कन्नौज के रहने वाले हैं। जेई कंप्यूटर की परीक्षा में 54 अनारक्षित पदों पर 32 यादव बिरादरी के उम्मीदवारों का चयन हुआ। जेई सिविल की 415 सीटों पर 320 ओबीसी उम्मीदवारों का चयन हुआ, इनमें 112 यादव हैं। प्रवक्ताओं के 11 पदों में आठ पर यादव बिरादरी के उम्मीदवार चुने गए।
छात्रों की मांग है कि आयोग की इन परीक्षाओं और नतीजों की सीबीआई से जांच कराई जाए। आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि लोक सेवा आयोग के नए चैयरमेन अनिल यादव की नियुक्ति ही पक्षपात करने के लिए किया गया है, जिससे की पहले से तय लोगों को नौकरी दे दी जाए और ये सबकुछ सत्ता के इशारे पर इशारे पर चल रहा है। ये केवल अपनी जाति विशेष, क्षेत्र-विशेष के लोगों को नौकरी दे रहे हैं। इधर आरोपों से बेपरवाह यूपी सरकार का कहना है कि अगर कोई गड़बड़ी सामने आई तो जांच कराई जाएगी। हम जानकारी कर लेंगे उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे।