अमेरिका में कर्ज मुक्त अमेरिका क़ानून के तहत ओबामा सरकार बैंक ट्रांजैक्शन के तौर पर 1% टैक्स लगाने की तैयारी में है, जिसका वहां विरोध ...
अमेरिका में कर्ज मुक्त अमेरिका क़ानून के तहत ओबामा सरकार बैंक ट्रांजैक्शन के तौर पर 1% टैक्स लगाने की तैयारी में है, जिसका वहां विरोध हो रहा है। ऐसे ही यूरोप के 11 देशों में भी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने की तैयारी है, वहां भी इसका विरोध हो रहा है। इन दोनों बड़ी अर्थशक्तियों की इस नीति को वहां के जानकार मानते हैं कि ये विनाशकारी होगा। अब बाबा रामदेव यही थ्योरी भारत में लागू करना चाहते हैं।
वो कहते हैं कि सारे टैक्स ख़त्म कर दो नये टैक्स के तौर पर पूरे देश में सिर्फ एक टैक्स लगाओ जो बैंक में लेन-देन पर आधारित होगा और उससे 30 लाख करोड़ रुपये राजस्व आएगा। अब समझने की बात है कि देश के बजट में टैक्स से आनेवाले राजस्व को देखें तो केंद्र सरकार को करीब 16 लाख करोड़ रुपये टैक्स से आते हैं और इतने ही राज्यों से आनेवाले टैक्स से। तो इस गणित में तो बाबा रामदेव सही हैं कि 30 लाख करोड़ रुपये टैक्स आ जाए तो देश चल जाएगा।
बैंकिंग क्षेत्र में आ जाएगा भूचाल
दूसरा गणित ये है कि ये टैक्स आएगा कैसे बाबा रामदेव की दलील है कि देश में 8 लाख करोड़ बैंक मनी है और इसका अगर 25% भी सर्कुलेशन में रहता है तो 2% टैक्स लगाने पर 30 लाख करोड़ रुपये आ जाएगा। लेकिन ये सिर्फ खयाली पुलाव लगता है क्योंकि बैंक में अगर इतना ज़्यादा मनी सर्कुलेशन होगा तो बैंक के पास बाज़ार में निवेश करने के लिए पैसे नहीं रहेंगे और वो अगर निवेश नहीं कर पाएंगे तो लोगों को उनके बैंक खाते पर ब्याज कैसे देंगे, लोगों को बैंक में पैसा जमा करने को लेकर प्रोत्साहित कैसे करेंगे, तमाम तरह के कर्ज़ों के लिए कम ब्याज कैसे रख पाएंगे। और अगर ये सब नहीं होगा तो बैंकिंग क्षेत्र के लिए बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स विनाशकारी बनकर उभरेगा। और अर्थनीति का मूल सिद्धांत ही बैंकिंग पर टिका है ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था गिरनी तय है।
कालेधन का प्रयोग बढ़ेगा
अर्थशास्त्री बाबा रामदेव की नीतियां देश में कालाबाज़ारी को भी बढ़ावा देंगी। अगर बैंक में ट्रांजैक्शन टैक्स लगने लगेगा तो आम जनता क्यों चाहेगी कि वो टैक्स दे अगर उसके पास रास्ता होगा कि वो नकद में पैसे देकर काम चला ले। ज़ाहिर है इससे लोग बैंकों में पैसा नहीं रखेंगे और कैश से ही अपनी रोज़मर्रा की ज़रुरत की चीज़ों को खरीदेंगे। और यही बात कारोबारियों के बीच भी लागू होने लगेगी जिससे काले धन का प्रयोग बढ़ जाएगा और मार्केट में इस तरह के पैसे के सर्कुलेशन से (जिस पर सरकारी नियंत्रण नहीं है, या सरकारी हिसाब-किताब नहीं देना है) पूरी कारोबारी व्यवस्था ही धराशाही हो जाएगी।
भ्रष्टाचार और ज़्यादा हो जाएगा
फिलहाल तो लोग बैंकों में पैसे रखते हैं और वहां से मोटा पैसा निकालने या जमा करने पर उन्हें अपना पैन कार्ड देना होता है या पहचान बतानी होती है, लिहाज़ा अगर किसी को बड़ी रकम में घूस देना हो तो लोग बैंक से पैसा निकालने में हिचकते हैं लेकिन जब बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स लगेगा तो लोग कैश का ज़्यादा इस्तेमाल करेंगे यानी बैंकों में पैसे रखने से हिचकेंगे और इसका असर ये होगा कि वो आसानी से कैश में घूस दे सकेंगे, जिस पर अंकुश लगाना भी आसान नहीं होगा।
अपराध बढ़ेंगे
जब लोग बैंकों की जगह अपने घरों में ही पैसे रखने लगेंगे तो ज़ाहिर है बदमाशों के मंसूबे सातवें आसमान पर होंगे और इससे देश में चोरी, डकैती, लूट, हत्या जैसे जघन्य अपराधों का आंकड़ा भी आसमान छूने लगेगा। लोग एटीएम, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने से बचेंगे तो ज़ाहिर है वो जेब में भी कैश लेकर घूमेंगे, असर ये होगा कि छिनैती और मारपीट की घटनाएं भी बढ़ जाएंगी।