ex MP have more then 50 wives
रांची। झारखण्ड के एक राजनेता भगवान् श्रीकृष्ण के ऐसे भक्त हैं, जो उन्हें अपना आदर्श मानते हुए अब तक 50 से ज्यादा शादियां कर चुके हैं। उनकी पत्नियों की संख्या अब उन्हें भी याद नहीं है। जब भी उनसे इस बाबत पूछा जाता है तो उनका जवाब होता है कि "खुद ही पता कर लीजिए, अब तो याद भी नहीं है." ये महाशय कई बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं, साथ ही अब तक पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। इनका नाम है बागुन सुम्ब्रई, जो पुराने बिहार (अब झारखण्ड) के कोल्हान इलाके में एक आदिवासी परिवार में जन्मे थे। युवावस्था से ही राजनीति में आ गए। आजादी के बाद ऐसी किस्मत चमकी कि अब तक पांच बार सांसद रह चुके हैं। इतना ही नहीं, अलग-अलग सरकारों में मंत्री और विभिन्न सरकारी समितियों के प्रमुख के तौर पर भी अपनी भूमिका निभाई। लेकिन, इन सबसे अगल इनका निजी जीवन काफी चर्चा का विषय रहा।
बागुन सुंब्रई को शादियों की जैसे आदत रही है। हालांकि, उन्होंने कितनी शादियां की, इसका कोई प्रमाणिक रिकॉर्ड नहीं है। परन्तु वह कहते रहे हैं कि कई शादियां तो वे भूल गए। बागुन के करीबी बताते हैं कि उनकी पांच पत्नियां हैं, पर बहुत से लोग उनकी पत्नियों की संख्या करीब 60 तक बताते हैं। बागुन के बारे में बताया जाता है कि शुरू में उन्होंने एक लड़की से शादी की इच्छा जाहिर की थी, पर इस शर्त पर कि उसकी अन्य दो सहेलियों से भी बागुन शादी करेंगे। बागुन की पोशाक भी काफी चर्चित रही है। वे सिर्फ शरीर के निचले भाग पर धोती लपेटते हैं। ऊपरी भाग पर धोती के बचे हुए हिस्से को डाल लेते हैं। चाहे चिलचिलाती धूप हो या कड़ाके की ठंड या फिर बरसात, वह हमेशा धोती में ही होते हैं। वह कई महिलाओं से शादी रचाने को समस्या नहीं मानते। दरअसल आदिवासी समाज में भी बहुविवाह वर्जित नहीं है और बहुपत्नी विवाह झारखंड के आदिवासियों में कोई असामान्य बात नहीं है।
बागुन का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण मेरे आदर्श हैं। उन्होंने 16 हजार कन्याओं से शादी की और दुनिया उनकी पूजा करती है। आगे बताते हैं कि वो कभी लड़कियों के पीछे नहीं भागे, बल्कि वे ही उनके पीछे आती रहीं। बागुन के मुताविक अगर उनके अंदर कुछ आकर्षण हैं तो वो क्या कर सकते हैं? दरअसल वो किसी को निराश नहीं कर सकते जो उनसे शादी करना चाहती है। बागुन यह भी कहते हैं कि कई आदिवासी महिलाओं ने उनसे सिर्फ राजनीति में आने के लिए शादी की। अनिता सुंब्रई उनमें से एक हैं। हालांकि, अनीता एक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक बन कर रह गईं। अनिता का कहना है कि वो एक राजनेता बनना चाहती थी। लेकिन सुंब्रई साहब शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देते थे और अनीता ने शादी उन्हें गुरु और मार्गदर्शक मानकर की थी।