good governance or jungle raaj
पटना। जंगल राज के खिलाफ सत्ता पाने वाले नीतीश कुमार अब खुद ही जंगल राज के द्योतक बनते जा रहे हैं। बिहार फिर से अपहरण और हत्या के ऐसे कई मामले हो चुके हैं जो नीतीश सरकार को शर्मसार करने के लिए काफी है। अभी ताजा मामला सुहैल हिंगोरा का है जो प्रतिदिन नीतीश कुमार की मिट्टी पलीद कर रहा है। सुहैल के पिता हनीफ हिंगोरा अपने बेटे को अपहरणकर्ताओं से छुड़ा कर जैसे ही सूरत पहुंचे, वो नीतीश सरकार पर बरस पड़े। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि "मेरे बेटे के अपहरण में राज्य सरकार के मंत्री, विधायक शामिल थे और इसकी खबर नीतीश कुमार को न हो ऐसा असंभव है।" हिंगोरा ने मंत्री के साथ पुलिस की भी मिलीभगत होने का भी आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि दक्षिण गुजरात के टेक्सटाइल कारोबारी व बिल्डर हनीफ हिंगोरा के बेटे सोहेल हिंगोरा का दमन से अपहरण कर उसे बिहार के छपरा में रखा गया था। जिसे 1 दिसंबर को करीब 9 करोड़ के फिरौती ले कर छोड़ा गया था। सोहैल हिंगोरा ने भी रिहाई के बाद गुजरात पुलिस को दिए गए बयान में कहा कि अपहर्ता आपस में अक्सर चुनाव की बाते करते थे। साथ ही सुहैल के पिता हनीफ हिंगोरा ने भी सूरत जा कर मीडिया को बताया कि फिरौती की डील पटना में जद यू के किसी विधायक के सरकारी निवास पर हुई थी और ऐसा लग रहा था जैसे इन्हें बहुत मजबूत राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ था।
बहरहाल यह मामला नीतीश कुमार के लिए शर्मनाक तो है ही चुनौती भरा भी है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह इस मामले को चुनौती के रुप में लेकर इस मामले में शामिल सभी अपहर्ताओं को तो गिरफ्तार करवाए साथ ही उस नेता का नाम भी सार्वजनिक करते हुए उसके उपर कानूनी शिकंजा कसे जिसने बिहार को एक बार फिर से कलंकित करने में अपनी अहम भूमिका निभायी है। अब देखना ये है की नीतीश कुमार के सामने आई इस चुनौती से वो कैसे निपटते है और दामन में लगे दाग को कैसे धोते हैं।