digvijay singh in search of new role in congress
मध्यप्रदेश में चुनावी हार के बाद दिग्विजय सिंह कांग्रेस की नाकामी के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह बौखलाए हुए हैं।
हार पर वो न खुद जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और ना ही वो पार्टी की नीतियों या विपक्ष के तौर पर उसकी नाकामी को मानने को तैयार दिख रहे हैं।
हार पर वो न खुद जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और ना ही वो पार्टी की नीतियों या विपक्ष के तौर पर उसकी नाकामी को मानने को तैयार दिख रहे हैं।
दिग्गी का विवादास्पद बयान
कांग्रेस की हार पर दिग्विजय सिंह ने एमपी की जनता को दोषी बताया है। एक विवादास्पद बयान में उन्होंने कहा कि जनता को बीजेपी सरकार और उनके मंत्रियों का भ्रष्टाचार नही दिखा। तो इसमें वो क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जनता जनार्दन है और ये फैसला उसको करना है कि किसे वोट देना है किसे नहीं।
ईवीएम पर भी सवाल
दिग्गी राजा ने चुनावों में इस्तेमाल ईवीएम पर भी सवाल उठाए हैं। ईवीएम में गड़बड़ी पर उन्होंने कहा कि कौन सा बटन दबाने पर किसको वोट जाएगा वो नहीं बता सकते। उनका सीधा इशारा था कि शिवराज सरकार ने ईवीएम में गड़बड़ी करके चुनाव जीता है।
चुनावी बनवास खात्मे के संकेत
हालांकि दिग्विजय सिंह ने 6 महीने पहले ही ये संकेत दे दिए थे कि वो चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन इस बार साफ तौर उन्होंने कहा कि अगर पार्टी आलाकमान उनपर भरोसा जता कर उन्हें लोकसभा का टिकट देता है तो वो जरूर चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह भविष्य के खतरे को देखकर एक बार फिर से अपनी सक्रियता बढ़ाने का कोशिशों में जुटे हैं। एक ओर दिल्ली में 17 जनवरी को होने वाली एआईसीसी की बैठक में राहुल को पीएम उम्मीदवार बनाने की बात सामने आ रही है। दूसरी और एमपी में राहुल ब्रिगेड के ज्योतिरादित्य सिंधिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। विधानसभा चुनावों में भी एमपी में पार्टी की कमान ज्योतिरादित्य को सौंपकर पार्टी ने इस तरह के संकेत दे दिए थे। और तब भी दिग्गी राजा इसका विरोध करने वालों में सबसे आगे थे।