In a warning to corrupt civil servants, a Delhi court has awarded four years imprisonment to a civic body official, convicted for taking bribe of Rs 8,000 for allowing unauthorized construction here, saying the "main object of sentence is deterrence".
नई दिल्ली। नये लोकपाल बिल में भले ही सरकारी अफसरों के लिए ख़ास क़ानून नहीं है लेकिन पहले से बनाये क़ानून के तहत ही दिल्ली की एक अदालत ने डीडीए के इंजीनियर को 8000 रुपये घूस लेने के आरोप में 4 साल जेल की सज़ा सुनाई है।
विशेष सीबीआई जज संजीव जैन ने डीडीए के पूर्व जूनियर इंजीनियर शशि भानू को भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत दोषी पाते हुए ये सज़ा सुनाई और उसे तुरंत हिरासत में लेने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि किसी अपराधी को दी जानेवाली सज़ा उसके गुनाहों की गंभीरता के मुताबिक होना चाहिए। अदालत ने कहा कि, “ भ्रष्टाचार के मामलों में सज़ा देने का मुख्य मकसद होता है उसका निवारण और ऐसे अपराधों पर निवारण के ज़रिए रोक लगाना।”
जज ने भानू पर 8 लाख का जुर्माना भी लगाया है। वहीं दूसरे आरोपी डीडीए में ही काम करनेवाले आर के शर्मा को सबूतों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया।
क्या हुआ था?
सीबीआई के मुताबिक जनवरी 2008 में केवीआई कृष्णन नाम के शख़्स ने एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें भानू और शर्मा पर डेमोलिशन नोटिस न जारी करने के नाम पर 8000 रुपए घूस मांगने का आरोप लगाया था। इसमें उसके फ्लैट के अनाधिकृत निर्माण को स्वीकृति देने का भी था।
सीबीआई ने कहा कि कृष्णन को विस्तारित करने की योजना के तहत 1995 में एक डीडीए फ्लैट आवंटित किया गया था जिसके तहत अतिरिक्त मंज़िल बनाने के लिए अनुमति की ज़रुरत नहीं थी। जबकि दोनों अभियुक्तों ने फ्लैट में अतिरिक्त निर्माण करने के लिए पैसे मांगे और धमकी भी दी कि अगर वो रिश्वत नहीं देते तो उनके फ्लैट को गिराने का आदेश जारी कर दिया जाएगा।